कहानी से यह प्रेरणा मिलती है कि मशीनी युग में भी हमें हाथ से बनी चीजों को अपनाना चाहिए, ‘हथकरघा उद्योगों’ को बढ़ावा देना चाहिए। उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
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